शीर्षक | वास्तु शास्र - PDF |
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पृष्ठों | 114 |
PDF जानकारियां | वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवासस्थान होता है। इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश इन पॉंचों तत्वों का हमारे कार्य प्रदर्शन, स्वभाव, भाग्य एवं जीवन के अन्य पहलुओं पर पड़ता है। यह विद्या भारत की प्राचीनतम विद्याओं में से एक है जिसका संबंध दिशाओं और ऊर्जाओं से है। इसके अंतर्गत दिशाओं को आधार बनाकर आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जाओं को कुछ इस तरह सकारात्मक किया जाता है, ताकि वह मानव जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव ना डाल सकें। वास्तु शिल्पशास्त्र का ज्ञान मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कराकर लोक मे परमानन्द उत्पन्न करता है, अतः वास्तु शिल्प ज्ञान के बिना निवास करने का संसार मे कोई महत्व नहीं है। यदि मकान की दिशाओ मे या भूमि मे दोष हो तो उस पर कितनी भी लागत लगाकर मकान खड़ा किया जाए, उसमे रहने वालो की जीवन सुखमय नहीं होता। मुगल कालीन भवनो, मिस्र के पिरामिड आदि के निर्माण-कार्य मे वास्तुशास्त्र का सहारा लिया गया है। इस पीडीऍफ़ में आपको वास्तु शास्त्र की सभी जानकारियां एक ही जगह मिलेगी। |
भाषा | हिन्दी |
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